हमें खुद से पूछना होगा कि क्या हम एक सतही आजादी चाहते हैं या वजूद की तह तक आजाद होना चाहते हैं
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हमें खुद से पूछना होगा कि क्या हम एक सतही आजादी चाहते हैं या वजूद की तह तक आजाद होना चाहते हैं
याददाश्त के जाल से मुक्त कर्म ही है जो हर पल क्रांतिकारी है
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सही विचलन सही सोच स्वयं को जानने से शुरू होती है, न कि धारणाओं और तथ्यों के ज्ञान से
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